Sunday, October 22, 2017

Crying and Trying .... What is difference?

We observe many people around us, who are doing complaints about almost everything. About their life, wife, situation etc. Means they are crying everyday.

But they never try to change their mind.

Crying and Trying have only one letter difference in spelling but a lot in meaning.

*Crying collapses our Confidence & Trying builds our Confidence.*

Good Morning !

God bless you.

Thursday, September 7, 2017

Arjun and Lord Shri Krishna

મહાભારતનુ યુદ્ધ ચાલી રહ્યુ હતુ.
શ્રીકૃષ્ણ અર્જુન ના સારથિ હતા.

જેવુ અર્જુન નુ બાણ છૂટતુ, કર્ણ નો રથ ઘણો જ પાછળ જતો રહેતો.

જ્યારે કર્ણ નુ તીર છુટતુ તો અર્જુન નો રથ સાત પગલા પાછળ જતો રહેતો.

શ્રીકૃષ્ણ ભગવાને અર્જુન ની પ્રસંશા  કરવાને બદલે દર વખતે
કર્ણ માટે કહ્યુ," કેટલો વીરપુરુષ છે, આ કર્ણ.", જે અમારા રથ ને સાત પગલા પાછો પાડી દે છે.

અર્જુન ઘણો પરેશાન થયો.

અસમંજસ ની સ્થિતી મા પુછી બેઠો," હે વસુદેવ, આ પક્ષપાત કેમ?  મારા પરાક્રમ ની આપ નોધ નથી લેતા અને આપણા રથ ને માત્ર સાત પગલા પાછળ ધકેલતા કર્ણ માટે આપ દરેક વખત વાહ-વાહ કરો છો?"

શ્રીકૃષ્ણ ભગવાન બોલ્યા: પાર્થ, તને ખબર નથી.....

"તારા રથ પર મહાવીર હનુમાન,  અને હુ  સ્વયં વસુદેવ કૃષ્ણ બિરાજમાન છે."

જો અમે બન્ને ન હોત તો તારા રથ નુ અત્યારે અસ્તિત્વ પણ ન હોત.
       આ રથ ને સાત પગલા પણ  પાછળ ધકેલવુ એ કર્ણ ના મહા બળવાન હોવાનો સંકેત છે.
      અર્જુન આ સાભળીને પોતાની ક્ષુદ્રતા પર સંકોચ અનુભવવા લાગ્યો.

  આ તથ્ય ને અર્જુન તેથી વિશેષ ત્યારે સમજ્યો જ્યારે યુદ્ધ સમાપ્ત થયુ.

પ્રત્યેક દિવસે અર્જુન જ્યારે યુદ્ધ માથી પાછા ફરતા ત્યારે શ્રીકૃષ્ણ ભગવાન પહેલા રથ માથી ઉતરતા અને સારથિ ધર્મ
હોવાથી અર્જુન ને પછી ઉતારતા.
     યુદ્ધના છેલ્લા દિવસે રથમાથી ઉતરતા પહેલા ભગવાને કહ્યુ,"અર્જુન, તમે પહેલા રથ માથી ઉતરી ને દુર ઉભા રહો."
        ભગવાન શ્રીકૃષ્ણ ના ઉતરતા જ રથ બળી ને ભસ્મ થઈ ગયો.

    અર્જુન આશ્ચર્યચક્તિ થઈ ગયો.

ભગવાન શ્રીકૃષ્ણે કહ્યુ" પાર્થ, તારો રથ તો ક્યારનો યે બળી ને ભસ્મ થઈ ચૂક્યો હતો.

ભીષ્મ,

કૃપાચાર્ય,

દ્રોણાચાર્ય,

અને

કર્ણ ના

દિવ્યાસ્ત્રોથી તે રથ નષ્ટ થઈ ચૂક્યો હતો,  *મારા સંકલ્પે એને યુદ્ધ સમાપ્તિ સુધી જિવીત રાખ્યો હતો."*

પોતાની શ્રેષ્ઠતા ના મદ મા ખોવાયેલ અર્જુન નુ અભિમાન ચકનાચૂર થઈ ગયુ.

       પોતાનુ સર્વસ્વ ત્યાગી ને
તે ભગવાન ના ચરણો મા નતમસ્તક થઈ ગયો.
  અભિમાન નો ખોટો ભાર ઉતારી ને હલકાપણ અનુભવતો હતો.
   ગીતા શ્રવણ મા આથી વિશેષ શુ ઉપદેશ હોઈ શકે કે," બધુ જ કર્તાહર્તા ભગવાન જ છે, આપણે તો ફક્ત કઠપુતળી જ છીએ."
કાશ, આપણા અંદર નો અર્જુન આ સમજી જાય.

💐👏
ઘમંડ જીવન મા કષ્ટ જ આપે છે.     
🎈....... અહંકાર છોડો પરંતુ સ્વાભિમાન માટે લડતા રહો.
Good morning ....have a nice day.

Friday, September 1, 2017

Don't eat curd with salt.

*दही में नमक डाल कर न खाऐं*
कभी भी आप दही को नमक के साथ मत खाईये. दही को अगर खाना ही है, तो हमेशा दही को मीठी चीज़ों के साथ खाना चाहिए, जैसे कि चीनी के साथ, गुड के साथ, बूरे के साथ आदि.
इस क्रिया को और बेहतर से समझने के लिए आपको बाज़ार जाकर किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना है, और वहां से आपको एक लेंस खरीदना है. अब अगर आप दही में इस लेंस से देखेंगे तो आपको छोटे-छोटे हजारों बैक्टीरिया नज़र आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर-उधर चलते फिरते नजर आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जाने चाहिए, क्योंकि जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेस अच्छे से चलता है.
*हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए खाते हैं.* दही को आयुर्वेद की भाषा में जीवाणुओं का घर माना जाता है. अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों जीवाणु नजर आएंगे. अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायेदेमंद साबित होंगे. *वहीं अगर आप दही में एक चुटकी नमक भी मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे* और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी जो कि किसी काम नहीं आएगी. अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे. क्योंकि नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन है.
आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि जीवाणुओं को बढाये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे | दही को गुड़ के साथ खाईये. गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं. थोड़ी देर गुड मिला कर रख दीजिए. बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है. मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी.  पुराने समय के लोग अक्सर दही में गुड़ डाल कर दिया करते थे।

Why meditation is important for everyone?

*LAWS OF NATURE*☝
.... The food we eat, has to be digested and then thrown out of body in 24 hours, else we will fall ill.
.... The water we drink, gets in our body and is thrown out in 4 hours, else we will fall ill.
.... The air we breathe, has to be thrown out in 1 minute, else we will die.
What about negative emotions like hatred, anger, jealousy, insecurity ... we hold in our body for days, months and years.
If these negative emotions are not thrown out regularly it props up into psycho-somatic diseases.
And meditation and prayers are safest way to dissolve these emotions.
*Worth sharing*...
Have a disease free life

Thursday, August 31, 2017

Nice Hindi language

_एक ट्रक के पीछे एक_
_बड़ी अच्छी बात लिखी देखी...._

_"ज़िन्दगी एक सफ़र है,आराम से चलते रहो_
_उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगें, बस गियर बदलते रहो"_
_"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए_
_और_
_जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!_

_तज़ुर्बा है हमारा... . .. _मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,_
_संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!_

👌👌👌👌😇😇

_जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,_

_यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!_

_जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ...._

_जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए..._

👌👌👌👌👌👌👌

_पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है;_
            
_लेकिन इन्सान पैसा ऊपर नही ले जा सकता......_

👌👌👌👌👌👌👌👌

_कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है...._

_पर रोटी की साईज़ लगभग  सब घर में एक जैसी ही होती है।_

  _:👌 शानदार बात👌_

_इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,_

_और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले..._
                   
‬👌👌👌👌👌😇😇

_कर्मो' से ही पहचान होती है इंसानो की..._

_महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में !!.._

😎😎😇😇😇
```मुझे नही पता कि मैं एक बेहतरीन ईसान हूँ या नही...```
_लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि_
_मैं जिस को भी ये भेज रहा  हूँ वो बहुत_
_बहुत बेहतरीन

Saturday, August 26, 2017

Experience is the best teacher... Nice Hindi story

एक कहानी 👇👇👇

          एक राज्य में एक राजा थे । एक दिन उन्होंने अपने मंत्री को बुलाया और कहा कि 50 वर्ष से अधिक आयु वाले बुड्डे-बूढ़ी सिवाय खाने-पीने के अलावा कोई काम नहीं करते और यह बोझ बन गये हैं । सब रियासतदारों को आदेश भेजो कि वह हर जिले में एक खूब बड़ा गड्डा खुदवाए और उसमें 50 साल से ऊपर के सभी बुड्डे-बूढ़ी को गिरवा दें, कोई भी बूढ़ा-बुढ़ी राज्य में दिखायी न दें । इस पर मंत्री ने कहा कि महाराज यह सही नहीँ हैं इन बूढ़े-बूढ़ी के अनुभव का लाभ राज्य को मिलता हैं जो फ़िर नहीँ मिलेगा ।
          ......पर राजा ने मंत्री की बात नहीँ मानी और सभी नागरिकों को अपने घर के 50 साल से अधिक आयु के बूढ़े-बूढ़ी को 30 दिन के अंदर गड्डे में फेंकने के आदेश दिये गये ।
           इसी आदेश पर जब एक व्यक्ति अपने पिता को कंधे पर बैठाकर शहर में खुदे गड्डे में फेंकने ले जा रहा था तो उसका पिता रास्ते में पड़ने वाले पेड़ से पत्तियाँ तोड़कर रास्ते में डाल देता था , इस पर बेटे ने पूछा तो उसने कहा कि जब तू मुझे फेंककर वापिस घर आयेगा , रास्ता भूलने पर इन पत्तियों को देखकर घर पहुँच जायेगा । इस पर बेटे के मन में विचार बदल गया और उसने फ़ैसला किया जो मेरा इतना ध्यान रखता हैं उसे मैं कभी गड्डे में नहीँ फेंकुंगा ।
         .... बाद में उसने अपने पिता को घर में छुपाकर रख लिया ।
        .......30 दिन बाद राजा ने मंत्री से पूछा कि अब कोई बूढ़ा-बूढ़ी नही बचा हैं , मंत्री ने कहा कि - नहीँ । इस पर राजा ने चुटकी ली कि अब अनुभव की परीक्षा हो जाये । कोई एक काम पूरे राज्य से करवाओ और उसे करने वाले को उचित इनाम दो ।
         ......मंत्री ने ऐलान किया कि तीन दिन में जो शंख में धागा पिरोकर लायेगा उसे 100 स्वर्ण मुद्रा मिलेंगी ।
इस बात को जब उस व्यक्ति ने अपने पिता से शेयर किया तो उसने कहा कि चींटी के पैर में धागा चिपकाकर शंख के एक सिरे पर छोड़ दो जब चींटी चलेगी तो चींटी के साथ धागा दूसरे सिरे से निकल आयेगा । बेटे ने ऐसे ही किया और शंख में धागा आर-पार हो गया । उसने राजा के पास जाकर इनाम पा लिया ।
           इस पर राजा ने फ़िर मंत्री से चुटकी ली कि अनुभव का क्या काम ? इस पर मंत्री ने एक और सवाल पूछने की इजाज़त माँगी तो राजा ने कहा कि चलो एक बार और सही !
         फ़िर मंत्री में ऐलान किया कि जो कोई तीन दिन में राख से रस्सी बनाकर लायेगा उसे 500 स्वर्ण मुद्रा मिलेंगी , इस पर पूरे राज्य में कोई सफ़ल नही हो पाया जब उस व्यक्ति ने अपने पिता से पूछा तो उसने कहा कि एक ट्रे में रस्सी का टुकड़ा रखकर उसमें आग लगा दो जब आग बुझेगी तो राख की रस्सी ही मिलेगी ।
          ......जब व्यक्ति राजभवन पहुँचा और उसने इनाम पाया तो मंत्री को शक हुआ कि दोनों बार एक ही व्यक्ति क्यों ? ज़रूर इसके घर में कोई बूढ़ा-बूढ़ी हैं । इस पर मंत्री ने व्यक्ति से सच्चाई निकलवा ली और तब राजा को एहसास हुआ कि उसका आदेश ग़लत था , अनुभव का कहीँ कोई विकल्प नहीँ ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Friday, August 25, 2017

Think differently.... Hindi short stories

साधू की झोपड़ी [ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानियां]

किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी; दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है। यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है ,” भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में दिन भर तेरा नाम लेता हूँ , मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी… गाँव में चोर – लुटेरे झूठे लोगो के तो मकानों को कुछ नहीं हुआ , बिचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड़ दी ये तेरा ही काम है …हम तेरा नाम जपते हैं पर तू हमसे प्रेम नहीं करता….”

तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश हो जाता है नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है…. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है , कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा , मेरा तुझपर विश्वास अब और भी बढ़ गया है… तेरी जय हो !

मित्रों एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा … हमारी सोच हमारा भविष्य तय करती है , हमारी दुनिया तभी बदलेगी जब हमारी सोच बदलेगी। यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी तो हमें हर चीज में कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह होगी तो हमे हर चीज में अच्छाई दिखेगी ….अतः हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।

Ashish Barot's Blog I am Happy & Healthy

Crying and Trying .... What is difference?

We observe many people around us, who are doing complaints about almost everything. About their life, wife, situation etc. Means they are c...